लेखनी प्रतियोगिता -20-Aug-2023 गणेश वंदना
गोरा शिव के हैं नंदन,
ललाट पर सजे चंदन,
नित करती हूं मैं वंदन।
प्रभु तुम प्रथम पूज्य विधाता,
रिद्धि सिद्धि के हो तुम दाता,
लड्डून का मैं भोग लगाता।
गणेश चतुर्थी पावन बेला,
आया देख खुशियों का मेला,
गीत भजनों का है रेला।।
गजानंद विघ्नेश्वर तुम कहलाते,
भक्तों की तुम आस जगाते,
तमस को तुम दूर भगाते।
छंद के हो तुम सरकार,
बनूॅं छंद में सृजनकार,
शुचि लेखनी की बहे धार।
इतनी सी है मेरी विनती,
सही हो मात्रा की गिनती,
गीत छंद के आकार बुनती।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
Shashank मणि Yadava 'सनम'
21-Aug-2023 08:04 AM
सुन्दर सृजन
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